डेयरी से आर्थिक स्वावलंबन की मिसाल
डेस्क रिपोर्ट, रायपुर : छत्तीसगढ़ राज्य ( chhattisagarh) के महासमुंद जिले के विकासखण्ड बसना के ग्राम पड़कीपाली में एक गृहणी रूक्मणी पटेल गौ-पालन कर परिवार को अपना विशेष सहयोग प्रदान कर रही है। पड़कीपाली के प्रगतिशील सीमांत कृषक परिवार की रूक्मणी पटेल ने गृह कार्य के साथ-साथ अपने बचे हुए शेष समय का सदुपयोग कर अपने परिवार का आर्थिक सहयोग करने की ठानी।
पशुपालन संबंधी योजनाओं
कृषक परिवार से संबंध होने एवं पूर्व से थोड़ा बहुत पशुपालन की जानकारी होने के कारण विभागीय कर्मचारियों से पशुपालन संबंधी योजनाओं की उनके द्वारा जानकारी ली गई, जिसमें उन्हे छत्तीसगढ़ राज्य डेयरी उद्यमिता विकास योजना उपयोगी एवं लाभप्रद लगा। इसके लिए विभाग से गौ पालन हेतु स्ववित्तीय आवेदन स्वीकृत करा कर दो गाय क्रय कर अपना डेयरी इकाई प्रारंभ की । इस कार्य में रुक्मणी पटेल के परिवार जनों ने भी उनका भरपूर सहयोग किया।
2000-3000 अतिरिक्त आय भी अर्जित होती
वे बताती हैं कि उनके द्वारा प्रारंभ किए डेयरी इकाई से प्रतिदिन लगभग 25 लीटर दूध उत्पादन होने लगा। 2-3 लीटर घरेलू उपयोग हेतु रखने के बाद शेष दूध को स्थानीय बाजार में 50 रूपये प्रति लीटर की दर से बेचकर प्रतिमाह करीब बीस हजार रूपये का शुद्ध लाभ होने लगा। उनके द्वारा घरेलू उपयोग हेतु रखे गये दूध से घी और दही बनाकर प्रतिमाह लगभग 2000-3000 अतिरिक्त आय भी अर्जित होती रही।
आर्थिक स्थिति को और सृदृढ़ करने
आज गौ पालन करते हुए रूक्मणी पटेल को लगभग डेढ़ वर्ष पूरे हो चुके है, इस दौरान उन्हें लगभग साढ़े तीन लाख रुपए आय अर्जित कर परिवार को बहुत बड़ा आर्थिक सहयोग प्रदान किया गया। परन्तु रूक्मणी पटेल इतने में ही संतुष्ट नहीं हुई, पशु पालन से लाभ को देखते हुए और अपनी आर्थिक स्थिति को और सृदृढ़ करने के उद्देश्य से डेयरी इकाई के लाभ का कुछ हिस्सा बचत करते हुए उनके द्वारा स्थानीय मांग के अनुसार इस वर्ष 8 बकरे-बकरियों का क्रय किया गया है, जिससे निश्चय ही उन्हे आगामी वर्ष में और ज्यादा लाभ की उम्मीद है। राज्य डेयरी उद्यमिता योजना से रुक्मणी पटेल की यह सफलता निश्चित तौर पर महिला आत्मनिर्भरता और महिला सशक्तिकरण के लिए विशेष सोपान सिद्ध हो रहा है। उनकी सफलता में राज्य सरकार की इस योजना का महती भूमिका है।
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